शहडोल। सादिक खान
शहडोल। जिला चिकित्सालय के ब्लड बैंक में हुई एक गंभीर लापरवाही ने चिकित्सा सेवाओं के प्रति लोगों की चिंता बढ़ा दी है। एक सिकल सेल एनीमिया के मरीज को ए पॉजिटिव ग्रुप का ब्लड चाहिए था, लेकिन उसे ओ ग्रुप का ब्लड सीधे भेज दिया गया। हालांकि, ड्यूटी डॉक्टर की सजगता के कारण गलत ग्रुप का ब्लड मरीज तक पहुंचने से पहले ही रोक लिया गया।
घटना तब सामने आई जब युवक अपनी पत्नी के लिए ब्लड लेने आया था। युवक ने ब्लड बैंक से एक यूनिट ब्लड लेकर ओपीडी में पहुंचा। वहां, डॉ. भूपेंद्र सिंह ने मरीज के दस्तावेज चेक किए और पाया कि ब्लड में ओ ग्रुप था, जबकि मरीज का डॉक्यूमेंट एबी ग्रुप का था। इस गंभीर त्रुटि को देखते हुए उन्होंने तुरंत तकनीशियन से बात की और ब्लड लौटाने को कहा।
डॉ. भूपेंद्र सिंह ने कहा, यह जानकर मैं दंग रह गया कि ब्लड ग्रुप गलत था। टेक्निशियन ने कहा कि रेपर गलत चिपकाया गया था, लेकिन यह एक बड़ी लापरवाही है।
इस घटना के बाद, जिला चिकित्सालय की सिविल सर्जन डॉ. शिल्पी सराफ ने कहा, हमने तकनीशियन से बात की और हिदायत दी है कि भविष्य में ऐसी गलती न हो। यह सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है कि ब्लड के साथ किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं हो।
हालांकि, यह घटना केवल एक व्यक्ति की लापरवाही नहीं है, बल्कि यह चिकित्सा व्यवस्था में व्यापक सुधार की आवश्यकता को भी दर्शाती है। ब्लड बैंक में गुणवत्ता नियंत्रण और प्रक्रिया की सही जांच न होने की स्थिति में मरीजों की जान जोखिम में पड़ सकती है।
पीड़ित ने बताया की उसकी पत्नी को महीने में दो बार ब्लड की जरूरत पड़ती है और वह जिला अस्पताल से ही उसे मिल पाता है । जिसको लेकर पीड़ित ने लिखित रूप में इस मामले की शिकायत नहीं की है, लेकिन उसने सिविल सर्जन से मौखिक रूप में इसके बारे में शिकायत की है।
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