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चिकित्सा जगत में नई पहल, मेडिकल कॉलेज में पहली बार कॉर्निया रिट्रीवल सफल,रोशन होगी ज़िंदगी



 शहडोल। सादिक खान 

शहडोल। बिरसा मुंडा शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय शहडोल में मंगलवार को नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और मानवीय उपलब्धि दर्ज की गई। जिससे एक मृत व्यक्ति के परिजनों की सहमति के बाद संस्थान में पहली बार सफलतापूर्वक कॉर्निया रिट्रीवल की प्रक्रिया पूरी की गई है ।इस प्रक्रिया से किसी नेत्रहीन व्यक्ति को आंखों की रोशनी मिलने की उम्मीद जगी है। यह उपलब्धि न केवल मेडिकल कॉलेज बल्कि पूरे शहडोल संभाग के लिए गर्व का विषय मानी जा रही है।

परिजनों से मिली थी सहमति

जानकारी के अनुसार मंगलवार सुबह एक व्यक्ति का निधन हो गया था। दुख की इस घड़ी में मृतक के परिजनों ने मानवता का परिचय देते हुए सहमति दी। इसके बाद बिरसा मुंडा शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय के नेत्र रोग विभाग की विशेषज्ञ टीम ने मृतक की आंखों से कॉर्निया को सुरक्षित रूप से निकालने की प्रक्रिया पूरी की। निकाले गए कॉर्निया को विशेष सुरक्षा मानकों के तहत रीवा स्थित लैब भेजा गया है, जहां परीक्षण और संरक्षण के बाद इसका उपयोग नेत्र प्रत्यारोपण में किया जाएगा।

कॉलेज प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मृतक की पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है, ताकि उनके और उनके परिजनों की निजता और सम्मान बना रहे। अधिकारियों का कहना है कि नेत्रदान के लिए सहमति देने वाले परिजनों का सम्मान किया जाएगा और इस विषय में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री से भी चर्चा की जाएगी। साथ ही आम नागरिकों को नेत्रदान के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाने की योजना है।

कॉर्निया रिट्रीवल, आँखे सुरक्षित

चिकित्सकों ने बताया कि नेत्रदान में केवल कॉर्निया निकाला जाता है, जिससे आंखों की बाहरी संरचना सुरक्षित रहती है। एक व्यक्ति के नेत्रदान से दो नेत्रहीन लोगों को रोशनी मिल सकती है। यह उपलब्धि शहडोल संभाग में नेत्रदान और नेत्र प्रत्यारोपण सेवाओं के विस्तार की दिशा में एक मजबूत कदम मानी जा रही है। भविष्य में इससे कई जरूरतमंद मरीजों को नई दृष्टि और नया जीवन मिलने की उम्मीद है।

इस ऐतिहासिक उपलब्धि के पीछे महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. जी. बी. रामटेके की दूरदर्शी सोच और मार्गदर्शन की अहम भूमिका रही। कॉर्निया रिट्रीवल की प्रक्रिया नेत्र रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. धीरेंद्र पांडे द्वारा, विभागाध्यक्ष डॉ. प्रणदा शुक्ला एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शोएब अर्शद के नेतृत्व में सफलतापूर्वक संपन्न की गई। इस दौरान गुलाब सिंह (रिफ्रेशनिस्ट), नर्सिंग ऑफिसर्स राहुल प्रजापति और ज्योति चौहान का भी सराहनीय सहयोग रहा। इसके अतिरिक्त मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रदीप कोरी ने भी प्रक्रिया को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कार्य की सराहना अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर नागेंद्र सिंह, ए एम एस डॉ विक्रांत कबीरपंथी, सहित कॉलेज एवं अस्पताल के सभी आधिकारिक कर्मचारियों ने की है।

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