शहडोल। सादिक खान
शहडोल। कोतवाली थाना क्षेत्र के नरसरहा में एक वनकर्मी के साथ दिनदहाड़े हुई मारपीट की घटना ने इलाके में हड़कंप मचा दिया है। कार्यवाहक वनपाल विजय कुमार प्रजापति के साथ हुए इस हमले में पांच आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने आरोपियों की तलाश सख्ती से शुरू कर दी है। आरोपियों ने वनपाल से जप्त वाहन डिपो के अंदर से छुड़ाकर फरार हो गए।
पुलिस ने बताया कि विजय कुमार प्रजापति ने अवैध रूप से मुरुम परिवहन कर रहे दो मिनी ट्रकों को पकड़ा था। जिनका नंबर Mp18ga4623 एवम Mp65ga2186 इन ट्रकों के पास आवश्यक दस्तावेज नहीं थे, और जैसे ही वनकर्मी ने वाहनों को रोका, चालक मौके से फरार हो गए। मौके पर वाहन जप्त कर कार्यवाही की जा रही थी,तभी मौके पर आरोपी पहुंचे और वनकर्मी की यह कार्रवाई आरोपितों को नागवार गुजरी। घटनास्थल पर लकी उर्फ अकाशदीप साहू, अमन रिछारिया, विजय प्रजापति, अनुराग मिश्रा और भोले यादव पहुंचे और उन्होंने वनपाल के साथ झूमाझटकी करते हुए उनका मोबाइल छीन लिया तथा तोड़ दिया। आरोपियों ने वनपाल को धमकी भी दी कि यदि वह उनके काम में हस्तक्षेप करते रहे, तो परिणाम गंभीर होंगे। और दबंगई पूर्वक दोनों वाहन लेकर मौके से चले गए।
विजय कुमार प्रजापति ने किसी तरह घटना की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी। इस घटना के बाद रेंजर शहडोल, रामनरेश विश्वकर्मा ने इस मामले की लिखित शिकायत कोतवाली थाने में की। रेंजर ने बताया,जांच के दौरान हमें पता चला कि दो दिन पहले नरसरहा के पास चेकिंग के दौरान ये वाहन पकड़े गए थे। इन वाहनों में मुरुम परिवहन संबंधी कोई दस्तावेज नहीं था। जिस पर कार्रवाई की जा रही थी। इसी बीच, कुछ लोग आए और सहायक वनपाल के साथ मारपीट करते हुए मोबाइल तोड़ दिया। शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ कोतवाली में मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा डालने और शासकीय कर्मचारी के साथ मारपीट करने की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने शीघ्र ही आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई टीमों का गठन किया है और उन्हें पकड़ने के लिए तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। आरोपियों के साथ वाहनों की भी तलाश की जा रही है।
गौरतलब है कि अवैध खनन और परिवहन एक गंभीर मुद्दा है, जो न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है। इस प्रकार की घटनाएं न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती प्रस्तुत करती हैं, बल्कि उन अधिकारियों के लिए भी खतरा बनती हैं, जो इन गतिविधियों के खिलाफ सख्त कदम उठा रहे हैं
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