शहडोल। सादिक खान
शहडोल। जब युवक की सांसे रुक गई तो सब ने सोच लिया कि अब वह दुनिया से अलविदा कह चुका है। लेकिन जिला अस्पताल शहडोल में चमत्कार हो गया, सी पी आर दे कर युवक की सांसे वापस आ गई। जिसे देख सब हैरान है। मां रो रो कर स्टाफ को धन्यवाद कहती नजर आ रही है।
जिला अस्पताल शहडोल में मानवता और चिकित्सा सेवा की एक मिसाल सामने आई है, जहां डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की तत्परता से एक मां के बेटे को नई जिंदगी मिल गई। ठंड में कई घंटों तक बेहोशी की हालत में पड़े 18 वर्षीय युवक की सांसें और धड़कनें अस्पताल पहुंचने पर थम चुकी थीं, लेकिन डॉक्टरों के अथक प्रयासों ने असंभव को संभव कर दिखाया।
जानकारी के अनुसार सचिन यादव पिता नरेश यादव, उम्र 18 वर्ष, निवासी वार्ड नंबर 29 शहडोल की तबीयत खराब थी। उसकी मां गीता यादव ने बताया कि सचिन का दोस्त उसे घर तक छोड़ने निकला था, लेकिन रास्ते में ही उसे छोड़कर चला गया। इसी दौरान सचिन को चक्कर आ गया और वह गिर पड़ा। ठंड के मौसम में वह खुले आसमान के नीचे कई घंटों तक पड़ा रहा। पड़ोस में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला ने जब सचिन को इस हालत में देखा तो तत्काल उसकी मां को सूचना दी।
सूचना मिलते ही गीता यादव आसपास के लोगों की मदद से सचिन को जिला अस्पताल लेकर पहुंचीं। अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों और स्टाफ ने जब उसकी जांच की तो न तो पल्स मिल रही थी, न ही बीपी आ रहा था और सांसें भी रुक चुकी थीं। हालांकि शरीर में हल्की गर्माहट बनी हुई थी।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्टाफ नर्स सुमित और लक्ष्मीनारायण ने तुरंत सीपीआर देना शुरू किया। आरएमओ डॉक्टर पुनीत श्रीवास्तव के अनुसार लगभग 15 मिनट तक लगातार सीपीआर और ऑक्सीजन सपोर्ट दिया गया, जिसके बाद सचिन की सांसें वापस लौट आईं। यह दृश्य देखकर अस्पताल स्टाफ भी हैरान रह गया।
अब सचिन पूरी तरह स्वस्थ है। बेटे को जीवित देखकर मां गीता यादव भावुक हो उठीं और रो-रोकर डॉक्टरों व स्टाफ का हाथ जोड़कर धन्यवाद करती रहीं। डॉ. पुनीत श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसे मामले बहुत दुर्लभ होते हैं, हजारों में एक-दो बार ही देखने को मिलते हैं, जिन्हें विज्ञान भी पूरी तरह नहीं समझा पाता। यह घटना जिला अस्पताल की संवेदनशीलता और तत्परता का जीवंत उदाहरण है।
ड्यूटी डॉक्टर गौरव त्रिपाठी ने बताया कि मरीज की स्थिति अब स्थिर है जिसका इलाज अस्पताल में चल रहा है। मैने खुद मरीज को देखा था, इसकी सांस रुक गई थी,सी पी आर दे कर हमारी टीम ने उसकी जान बचाई है।

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