शहडोल। सादिक खान
शहडोल। वन एवं वन्यजीव संरक्षण के प्रति बच्चों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से वन परिक्षेत्र केशवाही में अनुभूति कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों को जंगल, प्रकृति और जैव विविधता से सीधे जोड़ते हुए पर्यावरण संतुलन और संरक्षण का महत्व समझाया गया।
वन संरक्षक अनुपम सहाय (आईएफएस), वन वृत्त शहडोल की उपस्थिति में वन परिक्षेत्र केशवाही अंतर्गत बीट धूम्माडोल के कक्ष क्रमांक 1015 स्थित नागउपका में अनुभूति कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को प्रकृति, वन एवं जैव विविधता के प्रति संवेदनशील बनाना रहा। इस अवसर पर वन संरक्षक अनुपम सहाय ने विद्यार्थियों को जंगलों की उपयोगिता, वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
कार्यक्रम में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय केशवाही के विद्यार्थी, प्राचार्य एवं शिक्षकगण शामिल हुए। साथ ही जनप्रतिनिधियों में जिला पंचायत सदस्य रेखा पाव, जनपद सदस्य ज्ञान सिंह, ग्राम पंचायत धूम्माडोल एवं रुपौला के सरपंच उपस्थित रहे। पुलिस चौकी केशवाही प्रभारी गंगा मार्को एवं वन परिक्षेत्र केशवाही का समस्त स्टाफ भी कार्यक्रम में मौजूद रहा।
शासकीय ट्रेनर वेदन सिंह धुर्वे (वनपाल) एवं देव सुमन पांडे (वनरक्षक) ने विद्यार्थियों को ट्रेल भ्रमण कराते हुए दीमक की उपयोगिता, विभिन्न वृक्ष प्रजातियों की पहचान, वन उत्पादों, पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता के महत्व की जानकारी दी। ट्रेल के बाद विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन के लिए प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को वन संरक्षक द्वारा पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने “मैं भी बाघ” गीत का सामूहिक गायन कर वन्यजीव संरक्षण का संदेश दिया। लेंटाना झाड़ी से निर्मित अनुभूति लोगो के माध्यम से इको-फ्रेंडली व्यवहार का भी संदेश दिया गया। रेंजर अंकुर तिवारी ने बच्चों को बताया कि जंगल का प्रत्येक जीव पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा है और सभी का संरक्षण आवश्यक है।
इस दौरान विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक प्रश्न पूछे, जिनका रेंजर द्वारा सरल और रोचक तरीके से उत्तर दिया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में वन एवं वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना रहा, ताकि वे भविष्य में प्रकृति के संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
उल्लेखनीय है कि एक दिन पूर्व भी सर्किल भुमकार की बीट गोडारू के कक्ष क्रमांक 979 स्थित तुर्रापानी स्थल पर अनुभूति कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।


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